कबीरधाम। पंडरिया विकासखण्ड के बघर्रा संग्रहण केन्द्र का चौंकाने वाला मामला धान उपार्जन केन्द्रों की हकीकत अब खुलकर सामने आ रही है। कहीं करोड़ों रुपए का धान रहस्यमयी तरीके से खुले आसमान के नीचे पड़ा हजारों क्विंटल धान सड़ चुका है। ताज़ा मामला पंडरिया विकासखण्ड के बघर्रा संग्रहण केन्द्र का है। जहां केंद्र महज दिखावे के लिए कैप कवर डाला गया है, लेकिन न तो चबूतरा बनाया गया है और न ही रखरखाव की कोई ठोस व्यवस्था की गई है।
परिणामस्वरूप लगातार बरसते पानी में धान सड़ रही है। दरअसल, जिले में हुई धान की खरीदी के बाद संग्रहण केंद्रों में रखे धान का बारिश से पहले उठाव करना था। ताकि, धान सुरक्षित तरीके से मिलरों तक पहुंच सके लेकिन नौ महीने बीत जाने के बाद भी संग्रहण केंद्रों में रखे धान का उठाव अभी तक नहीं हो पाई है
संग्रहण केन्द्र पर धान को न तो ढंग से उठाया गया और न ही भंडारण की उचित व्यवस्था की गई। परिणाम यह हुआ कि लगातार बारिश से धान में अंकुरण आने लगा है। तस्वीरें साफ बता रही हैं कि किसानों की सालभर की मेहनत अब मिट्टी में मिल रही है
स्थानीय लोगों और किसानों में यह चर्चा जोरों पर है कि जो धान अब सड़ चुका है, क्या वही बाद में गरीबों की थाली में पहुँचेगा? अगर ऐसा होता है तो यह किसानों की मेहनत के साथ-साथ उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा होगा
किसानों का कहना है कि धान उठाव में देरी और भंडारण की लापरवाही ने यह स्थिति पैदा की है। हर साल मेहनत से उपजाने वाली फसल जब इस तरह बर्बाद होती है, तो उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं।